तीसरे वेतन आयोग ने वेतन संरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए समावेशिता, बोधगम्यता और पर्याप्तता की तीन अवधारणाओं को जोड़ा।
आयोग का मानना था कि सेवा वेतन निर्धारित करने का सबसे व्यावहारिक और न्यायसंगत तरीका केंद्र सरकार के सिविल कर्मचारियों के लिए निर्धारित वेतन दरों के साथ उचित तुलना पर आधारित होगा।
यह गठजोड़ तब प्रासंगिक और वांछनीय हो जाता है जब हम याद करते हैं कि हमारे सशस्त्र बलों में भर्ती स्वैच्छिक है, जिसका अर्थ है कि व्यक्तियों को नागरिक जीवन के प्रति आकर्षित करना होगा।
सशस्त्र बलों में भर्ती की गुणवत्ता तभी संतोषजनक होगी जब सेवा वेतन नागरिक रोजगार में पारिश्रमिक स्तर के बराबर हो।