275 ई - 897 ई

पल्लवों का लोक प्रशासन

पल्लव साम्राज्य सर्वाधिक महानतम साम्राज्यों में से एक था जिसने दक्कन और दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण भाग पर शासन किया था। जिस क्षेत्र पर उन्होंने शासन किया उसे टोंडइमंडलम कहा जाता था। पल्लवों ने कांची को अपनी राजधानी बनाया जिसे आज आधुनिक कांचीपुरम से पहचाने जाता है। उनके शासन के अधीन, कांची मंदिरों और वैदिक शिक्षा का नगर बन गया था। इस राजवंश के राजाओं ने शिलाओं और तांबे की पट्टिकाओं पर प्राकृत और संस्कृत में शिलालेख छोड़े थे, जो यह दर्शाते हैं कि पल्लव साम्राज्य ने तीसरी और सातवीं शताब्दी ई. के बीच शासन किया था। पल्लव राजवंश के अनेक राजाओं जैसे वीरकुर्चा, स्कंदशिष्य, सिंहवर्मन प्रथम और सिंहवर्मन द्वितीय का उल्लेख प्राकृत और संस्कृत शिलालेखों में किया गया है। इस राजवंश के विष्णुगोप नामक शासक को गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त ने पराजित किया था। छठी शताब्दी ई. के अंत में सिंहवर्मन के नेतृत्व में पल्लव अपनी शक्ति के चरम पर पहुंच गए थे, जिसने व्यापक राजनीतिक विस्तार के युग का शुभारंभ किया। पल्लव राजवंश ने वास्तव में ही दक्कन और दक्षिण भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।[1]

पल्लवों ने एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक व्यवस्था विकसित की थी। उस समय शासन व्यवस्था राजशाही हुआ करती थी। राजाओं द्वारा "धर्म-महाराजा" की उपाधि के लिए के दावों से यह संकेत मिलता है कि उन्होंने न्यायसंगत रूप से शासन किया था। राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था और वह न्यायाधीश, मध्यस्थ और सैन्य कमांडर के रूप में भी कार्य किया करता था। साहित्य और शिलालेख हमें पल्लव प्रशासन और उसके कार्य करने के तरीके के बारे में पर्याप्तजानकारी प्रदान करते हैं। हालाँकि उन्होंने मौर्य प्रशासनिक प्रणाली को उपयुक्त रूप से अपनाया और संशोधित किया था, लेकिन इसके साथ ही पल्लव राजाओं ने अपने राज्य में अनेक नई प्रशासनिक संस्थाओं की शुरूआत भी की थी। ऐसा प्रतीत होता है कि पल्लवों के पास कम संख्या में क्षेत्रीय विभाजन थे और प्रांतीय प्रशासन भी उत्तर के बड़े साम्राज्यों की भांति विकसित नहीं था।[2] फिर भी, अपने क्षेत्र पर प्रभावी ढंग से शासन करने के लिए, पल्लवों ने अपने क्षेत्र को विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया जिन्हें मंडलम, कोट्टम, नाडु और उर कहा जाता था। इन प्रशासनिक प्रभागों और वर्तमान प्रशासनिक उपखंडों, जैसे प्रांत, जिला, तालुक और गांव के बीच समानताओं का वर्णन करना संभव है। मंडलम, जो पल्लव साम्राज्य की सबसे बड़ी इकाई थी, पर एक राजकुमार (युवराज) का शासन हुआ करता था, जिसका इस पर सीधा केंद्रीय नियंत्रण था। कोट्टम्स नामक अगली प्रशासनिक इकाई के लिए ऐसे अधिकारियों का प्रभारी बनाया गया था जिन्हें सीधे राजा द्वारा नियुक्त किया जाता था। जबकि, नाडु का प्रशासन नत्तार और उर (गांव) नामक एक परिषद द्वारा किया जाता था, जो पल्लव प्रशासन की सबसे छोटी इकाई थी, जिसके कामकाज की देखरेख सभा नामक ग्राम समितियों द्वारा की जाती थी।[3]

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An approximate visualisation, sourced from:https://indictales.com/2017/10/28/pallava-king-nandivarman-ii-and-his-southeast-asia-lineage/