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ऋग्वेदिक राजनीति मानव इतिहास मे सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमाण को इंगित करता है। ऋग्वेद , प्राचीनतम साहित्यों में से एक है जो हमें 1500 ईसा पूर्व से लेकर 1000 ईसा पूर्व तक के भारत में राजशाही, राज्य और राजनितिक व्यवस्था का विवरण प्रकट करता है। प्रशासनिक कर्तव्यों के लिए जिम्मेदार लोकप्रिय सभाओं और संस्थानों का विचार ऋग्वेद संहिता और इसके ब्राह्मण से लिया जा सकता है। राजा ने अपने प्रशासनिक व्यवस्था को ,लोकप्रिय सभाओं और समितियों के माध्यम से बहुत ही उत्कृष्ट ढंग से चलया। इन दोनो सभाओं के माध्यम से राजा का चुनाव होता था, और अंततः राजा इन सभाओं के प्रति जवाबदेह होता था। पुरोहित राजा को राजकाज (शासन) में सलाह देता था।
प्रारंभिक वैदिक काल को भारत में शासन/राजतंत्र के जन्म और उसकी संरचना से पहचाना जा सकता है। साथ ही, ऋगवेदिक राज्यों के विकास और गठन, जिनमे उनकी राजनीतिक इकाईयां – सभा और समिति शामिल है, ये इस काल की उन्नत प्रशासनिक डिजाइन को दर्शाते हैं जो शायद लोकतांत्रिक राजनीति के लिए दुनिया की पहली पृष्ठभूमि है।